Vitality Blast final: कैच या छक्‍का…मैदान पर पहली बार दिखा ऐसा नजारा, अंपायर भी हो गए बुरी तरह कंफ्यूज

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नई दिल्ली. क्रिकेट के मैदान में छोटी सी गलती कई बार टीम और खिलाड़ी पर भारी पड़ जाती है. ऐसा ही कुछ केंट और समरसमेट (Kent vs Somerset) के बीच विटालिटी ब्लास्ट (Vitality Blast ) के खिताबी मुकाबले में भी हुआ. जब बाउंड्री पर फील्डर के सफाई से कैच पकड़ने के बावजूद बल्लेबाज आउट नहीं हुआ और उल्टा अंपायर ने बल्लेबाज के खाते में 6 रन जोड़ दिए. विटालिटी ब्लास्ट के फाइनल में केंट ने समरसेट को जीतने के लिए 20 ओवर में 168 रन का टारगेट दिया था. इसका पीछा करते हुए समरसेट ने 10 ओवर में 3 विकेट के नुकसान पर 71 रन बना लिए थे.

समरसेट की पारी का 11वां ओवर केंट के जो डेनली फेंकने आए. स्ट्राइक पर विल स्मिड (Will Smeed) थे. डेनली की पहली गेंद पर 1 भी रन नहीं आया. लेकिन उनकी दूसरी गेंद को स्मिड ने डीप मिडविकेट की तरफ खेला. लेकिन गेंद पूरी तरह बल्ले पर नहीं आई और सीधे डीप मिडविकेट पर फील्डिंग कर रहे जॉर्डन कॉक्स (Jordon Cox) की तरफ चली गई. कॉक्स ने कोई गलती नहीं की और शानदार कैच लपक लिया. लेकिन फिर ऐसा कुछ हुआ, जिसने सारा खेल ही पलट दिया.

फील्डर के कैच पकड़ने के बाद भी बल्लेबाज आउट नहीं
दरअसल, कॉक्स ने जब कैच लपका, तो उसी समय साथी फील्डर डेनिएल बेल ने भी कैच पकड़ने के लिए डाइव लगाई थी. लेकिन वो अपनी डाइव पर काबू नहीं रख पाए और कॉक्स से टकराते हुए बाउंड्री रोप के संपर्क में आ गए. इसके बाद यह जांचने के लिए कैच सही से पकड़ा गया है या यह छक्का है, थर्ड अंपायर का रुख किया गया. वीडियो रीप्ले में भी साफ समझ नहीं आया. इसके बाद मैच रैफरी और फोर्थ अंपायर की भी मदद ली गई.

वीडियो रीप्ले में दिखा कि कॉक्स ने कैच तो पकड़ लिया था. लेकिन अपने शरीर को पूरी तरह काबू नहीं रख पाए. इसी दौरान साथी खिलाड़ी डेनिएल भी उनसे टकरा गए. जब दोनों संपर्क में आए तो उस समय डेनिएल का पैर सीमा रेखा से टकरा गया था. इसी वजह से अंपायर ने बल्लेबाज को आउट देने के बजाए इसे छक्का करार दिया.

कैच पकड़ने के दौरान फील्डर का शरीर पर नियंत्रण जरूरी
आईसीसी के नियम 33.3 के तहत कैच लेने का काम उस समय से शुरू माना जाता है, जब गेंद पहली बार किसी फील्डर के संपर्क में आती है और तब समाप्त होगी जब फील्डर कैच पकड़ने के साथ ही अपने शरीर पर भी पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लेता है. इसलिए कॉक्स खुद को नियंत्रित नहीं रख पाए तो इसे छक्का करार दिया जाएगा, यही नियम कहता है. इतना ही नहीं, अगर फील्डर कैच पकड़ने के बाद पूरे नियंत्रण में भी रहता है और उसे लगता है कि वो बाउंड्री के पार जा सकता है, तो उसे गेंद को छोड़ना होता है. हालांकि,. कॉक्स के मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसलिए अंपायर ने बल्लेबाज को आउट नहीं दिया. इस तरह के वाकये क्रिकेट मैदान पर शायद ही देखने को मिलें.

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