ECB और न्यूजीलैंड बोर्ड पर भड़के अफरीदी, कहा- समझदार मुल्कों को भारत के पीछे नहीं चलना चाहिए

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नई दिल्ली. पाकिस्तान क्रिकेट के लिए बीते कुछ दिन अच्छे नहीं बीते हैं. पहले न्यूजीलैंड और फिर इंग्लैंड ने यहां का दौरा करने से इनकार कर दिया. हालांकि, इसके लिए दोनों टीमों ने अलग-अलग वजह दी. जहां न्यूजीलैंड की टीम सुरक्षा कारणों का हवाला देकर पाकिस्तान से चली गई. वहीं, इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की बात कहकर पाकिस्तान का दौरा करने से इनकार कर दिया. ईसीबी और न्यूजीलैंड बोर्ड के इस फैसले को पाकिस्तान पचा नहीं पाया और वहां के मौजूदा और पूर्व खिलाड़ी इन दोनों दशों के खिलाफ आग उगल रहे हैं. अब इस लिस्ट में शाहिद अफरीदी भी शामिल हो गए हैं.

अफरीदी ने खुलासा किया कि पीसीबी घरेलू श्रृंखला के लिए हरी झंडी देने से पहले कई दौर की सुरक्षा जांच करता है. ऐसे में न्यूजीलैंड बोर्ड का पाकिस्तान दौरा कैंसिल करने का फैसला माफी लायक नहीं है. उन्होंने क्रिकेट पाकिस्तान से बातचीत में कहा कि हम सभी जानते हैं कि जब किसी भी टीम के दौरे की बात आती है तो कई मोर्चों पर जांच होती है. यात्रा करने वाले राष्ट्र के सुरक्षा सदस्यों द्वारा उचित जांच की जाती है. टीम का आने-जाने का रास्ता पहले से तय होता है. प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मेहमान देश को टूर के लिए हरी झंडी दिखाई जाती है.

भारत से ई-मेल आया था: फवाद चौधरी
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने दावा किया था कि न्यूजीलैंड की टीम को भारत से एक धमकी भरा ई-मेल आया था. उन्होंने कहा था कि यह ईमेल भारत से आया था. लेकिन वीपीएन के जरिए इसकी लोकेशन सिंगापुर दिखाई गई.

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भारत का अनुसरण नहीं करना चाहिए
पाकिस्तान के मंत्री के इस दावे पर अफरीदी ने कहा कि अन्य ‘शिक्षित राष्ट्रों’ को भारत के नक्शेकदम पर नहीं चलना चाहिए और अपनी समझ के अनुसार फैसला लेना चाहिए. अगर आपको बड़ी तस्वीर देखनी है तो मुझे लगता है कि हमें एक ऐसा निर्णय लेने की ज़रूरत है, जो दुनिया को दिखाए कि हम भी एक देश हैं और हमारा अपना गौरव है. एक देश हमारे पीछे है तो ठीक है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि दूसरे देशों को भी वही गलती करनी चाहिए. यह सभी शिक्षित राष्ट्र हैं और उन्हें भारत का अनुसरण नहीं करना चाहिए. इसके बजाय, क्रिकेट को संबंधों में सुधार करना चाहिए. भारत में भी स्थिति खराब थीं. हमें धमकियां मिल रही थीं. हमारे बोर्ड ने हमें जाने के लिए कहा और हम वहां गए. इसी तरह कोविड-19 के दौरान इंग्लैंड में जो हालात थे, क्रिकेट चलता रहा.

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