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नई दिल्ली. यूएई में चल रहे आईपीएल 2021 (IPL 2021) के दूसरे हाफ में शामिल खिलाड़ी डोपिंग (Doping Test) से बच सकते हैं. क्योंकि वे टूर्नामेंट के दौरान किसी भी डोप टेस्ट से नहीं गुजरेंगे. इसकी वजह बीसीसीआई है. दरअसल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने सख्त बायो-बबल प्रोटोकॉल और कोरोना संक्रमण की डर की वजह से नेशनल एंटी डोपिंग (NADA) एजेंसी यानी नाडा के अधिकारियों को आईपीएल के लिए तैयार किए गए बायो-बबल (Bio Bubble) में घुसने की इजाजत ही नहीं दी.
आईपीएल 2021 के पहले चरण में भी कोरोना के कारण कम डोप टेस्ट हुए थे. हालांकि, नाडा के डीसीओ (डोपिंग नियंत्रण अधिकारी) के कोरोना संक्रमित होने के बाद BCCI ने परीक्षण पूरी तरह से रोक दिया था. बीसीसीआई ने शुरू में मुंबई, चेन्नई और दिल्ली में तीन डीसीएस (डोप कंट्रोल स्टेशन) की अनुमति दी थी और डीसीओ को आईपीएल 2021 के पहले फेज के दौरान बायो-बबल में प्रवेश करने दिया था. लेकिन नाडा के डोप कंट्रोल ऑफिसर के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बायो-बबल में एंट्री पर रोक लगा दी थी.
इस बार NADA, जिसे भारत में खेल आयोजनों में अनिवार्य रूप से डोप टेस्ट करने की अनमुति रहती है, उसने BCCI द्वारा प्रवेश से इनकार करने के बाद किसी भी अधिकारी को UAE नहीं भेजा है.
बीसीसीआई ने नाडा अधिकारियों को अनुमति नहीं दी
जाहिर तौर पर, बीसीसीआई आईपीएल के बायो-बबल में डोपिंग अधिकारी की मौजूदगी को लेकर आशंकित है. खासकर, उस सूरत में जब टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक खबर में यह बताया था कि आईपीएल के पहले हाफ में डोपिंग एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी की बायो-बबल के भीतर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. इसके बाद में परीक्षण रोक दिया गया था. क्योंकि जो डीसीओ संक्रमित पाया गया था, उसने कुछ खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ के सदस्यों के नमूने लिए थे.
बाद में कुछ खिलाड़ी भी वायरस की चपेट में आ गए थे और मई के पहले हफ्ते में टूर्नामेंट को स्थगित कर दिया गया था. हालांकि, इस बार, BCCI और NADA डोपिंग की जांच के लिए नमूने इकठ्ठा करने को लेकर समझौता नहीं कर सके. क्योंकि बीसीसीआई डीसीओ को आईपीएल के सख्त बायो-बबल में प्रवेश करने की अनुमति देने से हिचक रहा था. सनराइजर्स हैदराबाद के तेज गेंदबाज टी नटराजन के कोरोना संक्रमित होने के बाद तो बीसीसीआई और डर गया है.
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पिछले आईपीएल में भी डोपिंग टेस्ट नहीं हुआ था
पिछले साल भी यूएई में हुए आईपीएल के दौरान नाडा को ऐसे ही स्थिति का सामना करना पड़ा था. तब भी बीसीसीआई ने उन्हें यूएई के आईपीएल बायो-बबल में प्रवेश करने की अनुमति दीं थी. भले ही राष्ट्रीय एजेंसी को पांच डीसीएस स्थापित करने और न्यूनतम 50 खिलाड़ियों का डोप टेस्ट करना था.
BCCI डोपिंग नियमों की अनदेखी कर रही
बीसीसीआई वाडा के नियमों की जगह खुद को डोपिंग नियंत्रण सिस्टम को तरजीह दे रहा है. इस वजह से भारतीय बोर्ड सवालों के घेरे में है. इससे पहले पृथ्वी शॉ डोपिंग टेस्ट में फेल होने के कारण बैन झेल चुके हैं. वहीं, यूसुफ पठान, प्रदीप सांगवान को पहले डोपिंग उल्लंघन के लिए निलंबित किया गया है.
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