वर्ल्ड कप: पाकिस्तान पर भारत की पहली जीत, कपिल-सचिन का हल्ला बोल, जावेद-इमरान का डब्बा गोल

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नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) और क्रिकेट विश्व कप (Cricket World Cup). यह राइवलरी है तो महज 29 साल की, लेकिन जब इसका जिक्र छिड़ता है तो हजार अफसाने भी कम पड़ते हैं. इमरान खान-कपिल देव, सचिन तेंदुलकर-वसीम अकरम, अजय जडेजा-वकार यूनुस, विराट कोहली-बाबर आजम का… नाम बदलते रहे, अफसाने लिखे जाते रहे, पर नतीजे वही रहे. भारतीय सितारों ने पाकिस्तान को हर दौर में धूल चटाई है. भारत-पाक (IND vs PAK) की इस राइवलरी की शुरुआत 1992 (World Cup 1992) में हुई. अगर आपका मन भी इस पहले महामुकाबले के रोमांचक लम्हों को एक बार फिर जीने का कर रहा है तो यह कहानी आपके लिए ही है.

4 मार्च 1992 की तारीख. सिडनी का ऐतिहासिक मैदान. भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व कप का अहम मुकाबला होने जा रहा था. मैच डे-नाइट था, लेकिन दोपहर से ही स्टेडियम भरने लगा था. तय वक्त पर टॉस हुआ और सिक्का भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के पक्ष में गिरा. अजहर कोई चौंकाने वाले कप्तान नहीं थे और उन्होंने उम्मीद के मुताबिक पहले बैटिंग करने का निर्णय लिया ताकि टीम पर इस महामुकाबले में लक्ष्य का पीछा करने का दबाव ना पड़े, वह भी फ्लडलाइट्स में.

अजय जडेजा की जांबाज पारी
भारतीय बैटिंग की शुरुआत कृष्णमाचारी श्रीकांत और अजय जडेजा ने की. श्रीकांत की बल्लेबाजी से उन दिनों दुनिया खौफ खाती थी, लेकिन अंदर की कहानी यह थी कि यह खिलाड़ी अपना लय खो चुका था. नतीजा- वसीम अकरम, आकिब जावेद और इमरान खान ने उन्हें खूब परेशान किया. श्रीकांत आखिरकार पांच रन बनाकर आउट हुए लेकिन 39 गेंदें खेलकर. उनका स्ट्राइक रेट 12..82 रहा. सुकून की बात यह रही कि अजय जडेजा ने श्रीकांत की छाया अपनी बैटिंग में नहीं पड़ने दी, जो अपने करियर का महज तीसरा मैच खेल रहे थे. जडेजा ने दूसरे छोर पर 77 गेंद पर 46 रन की खूबसूरत पारी खेली. उन्होंने श्रीकांत के साथ 25 और कप्तान अजहर के साथ 61 रन की साझेदारी कर यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तान शुरुआती ओवरों में भारत पर दबाव ना बना सके. वे जब तीसरे बल्लेबाज के तौर पर आउट हुए तो भारत का स्कोर 101 रन हो चुका था.

जडेजा ने सचिन तेंदुलकर को थमाई बेटन
अजय जडेजा (46), अजहरुद्दीन (32) और विनोद कांबली (24) ने पाकिस्तानी गेंदबाजों को विकेट के लिए तरसाए रखा. सिक्के का दूसरा पहलू यह रहा कि पाकिस्तानी गेंदबाजों ने भारतीयों को कभी भी खुलकर रन नहीं बनाने दिया. हाल यह था कि जब भारत ने 40वें ओवर में संजय मांजरेकर के रूप में पांचवां विकेट गंवाया तो उसके खाते में महज 148 दर्ज थे. सचिन एक छोर से लगातार रन बना रहे थे, लेकिन दूसरे छोर से ना सिर्फ विकेट जाने लगे थे, बल्कि रन भी रुक से गए थे. ऐसा लग रहा था कि भारत 200 रन भी नहीं बना सकेगा.

सचिन-कपिल की जोड़ी ने पलटा मैच
जब भारत का स्कोर 148 रन था, जब सचिन तेंदुलकर का साथ देने कपिल देव आए. यह आखिरी जोड़ी थी, जिससे भारत रनों की उम्मीद कर सकता था और वो भी तेजी से. अपना आखिरी वर्ल्ड कप खेल रहे कपिल देव भी इस मौके को जाया नहीं करना चाहते थे. उन्होंने पहला वर्ल्ड कप खेल रहे सचिन को साथ लिया और आखिरी 56 गेंद पर 68 रन जोड़कर भारत को 216 रन तक पहुंचा दिया. कपिल 26 गेंद पर 35 रन बनाकर नाबाद रहे. सचिन ने 62 गेंद पर 56 रन की नाबाद और बेजोड़ पारी खेली.

गेंदबाजों ने पाकिस्तान को नाकों चने चबवाए
पाकिस्तान को 217 रन का लक्ष्य मिला, जो बड़ा नहीं था. सिडनी के मैदान पर बड़े शॉट आसानी से नहीं लगते. ऐसे में पाकिस्तान की जीत सिंगल्स-डबल्स के रास्ते जाती थी. भारतीय गेंदबाजों ने इस रास्ते को ब्लॉक कर दिया. नतीजा यह रहा कि पाकिस्तानी बल्लेबाज बड़े-बड़े शॉट की तलाश करने लगे और विकेट गंवाने लगे. कपिल देव, मनोज प्रभाकर और जवागल श्रीनाथ ने दो-दो विकेट लिए. सचिन तेंदुलकर और वेंकटपति राजू ने भी अच्छी गेंदबाजी की. इनमें से उस मैच के तीन सबसे बेहतरीन गेंदबाज चुनने हों तो प्रभाकर, कपिल और श्रीनाथ का नाम लिया जाएगा. प्रभाकर ने 10 ओवर के स्पेल में सिर्फ 22 रन दिए तो भारत को पहला विकेट गंवाने कपिल देव ने अपना स्पेल सिर्फ 30 रन देकर खत्म किया. श्रीनाथ ने जिस अंदाज में मियांदाद को यार्कर पर बोल्ड मारा, वह तो भूले नहीं भूलता. यही वह विकेट था, जिसके बाद भारतीय प्रशंसकों ने जीत की खुशियां मनानी शुरू कर दी थीं.

मियांदाद ‘भीगी बिल्ली’, इमरान का डब्बा गोल
भारत-पाक मैच हो और इमरान खान-जावेद मियांदाद का जिक्र एक लाइन में खत्म हो जाए वह तो संभव नहीं. ये दो खिलाड़ी ऐसे हैं, जो भारत के खिलाफ हमेशा चढ़कर खेलते. स्लेजिंग से भी बाज नहीं आते. लेकिन विश्व कप में सही मायने में इनका डब्बा ही गोल कर दिया भारत ने. कप्तान इमरान इस मैच में ना तो विकेट ले सके और ना ही रन बना सके. स्कोरबोर्ड पर उनके नाम के सामने 0 विकेट और 0 रन दर्ज है. उकसाने के लिए जाने जाने वाले उतावले मियांदाद ने जरूर 132 मिनट तक मैच में बैटिंग की और 110 गेंदों का सामना किया. लेकिन इस सबके बावजूद स्कोरकार्ड पर उनके सामने 40 रन दर्ज हैं, जो बताता है कि भारतीय गेंदबाजों के सामने पाकिस्तान का यह दिग्गज उस दिन कैसे भीगी बिल्ली बन गया था. मियांदाद के किस्से तो सैकड़ों हैं. खासकर इसी मैच में किरन मोरे के साथ उनका वह विवाद, जिसके बाद वह बंदरों सरीखे उछलने लगे थे. इस विवाद पर बात कभी और…

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