केएल राहुल 3 साल में बने भारत के सबसे बड़े सितारे, जानें कैसे ‘निलंबन’ से तय किया ‘कप्तानी’ तक का सफर

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नई दिल्ली. तीन साल में ‘निलंबन’ से ‘कप्तानी’ तक तक सफर तय करने वाले केएल राहुल (KL Rahul) भारतीय क्रिकेट जगत की एक बड़ी हस्ती बन गए हैं. उनका 7 साल का अंतरराष्ट्रीय करियर भले ही उतार-चढ़ाव से भरा रहा है लेकिन उनकी उपलब्धियों की फेहरिस्त काफी लंबी है. यह उनकी खेल विशिष्टताओं की वजह से ही है कि चयनकर्ता अब उन्हें टीम इंडिया (Team India) का नेतृत्व करने का मौका देने जा रहे हैं. रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के पैर की मांसपेशियों की चोट के पूरी तरह ठीक न होने के कारण अब राहुल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में टीम की कमान संभालेंगे. चयनकर्ता भी उन्हें अगले कप्तान के रूप में तैयार करने में जी-जान से लगे हैं. आगामी सीरीज के तहत दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ (India vs South Africa) तीन वनडे मैच पार्ल और केपटाउन में 19, 21 और 23 जनवरी को खेले जाएंगे.

करण जौहर के चक्कर में हो गए टीम इंडिया से बाहर
भारतीय टीम से अंदर-बाहर होते रहे राहुल के करियर का निर्णायक मोड़ जनवरी 2019 में आया जब चैट शो ‘कॉफी विद करण’ के दौरान महिलाओं के प्रति कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते उन्हें और ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच में ही निलंबित कर दिया. राहुल को स्वदेश लौटना पड़ा. सीओए ने दो हफ्ते में राहुल और पंड्या का निलंबन तो हटा दिया लेकिन ये दोनों ही खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर होने के बाद न्यूजीलैंड दौरे पर भी नहीं जा पाए.

राहुल ने बाद में स्वीकार किया कि 2019 में हुई इस घटना ने क्रिकेट के प्रति उनका नजरिया बदल दिया. दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने तब कहा था, ‘‘मेरे प्रदर्शन में निरंतरता का काफी श्रेय इस बात को जाता है कि 2019 के बाद मैंने कैसे अलग तरह से सोचना शुरू किया. इस निलंबन और जो भी हुआ, मैं लालची हो गया था या मैं स्वार्थी होना चाहता था और अपने लिए खेलना चाहता था. मैं विफल रहा. इसलिए मैंने स्वयं से कहा कि मुझे मैदान पर उतरकर वह करने की जरूरत है जो टीम मुझसे चाहती है.’’

केएल राहुल के माता-पिता दोनों प्रोफेसर
केएल राहुल का कहना है, ‘‘हम सभी को पता है कि हमारा करियर काफी लंबा नहीं. मैंने 2019 के बाद महसूस किया कि मेरे पास संभवत: 12 या 11 साल बचे हैं और मुझे अपना पूरा समय और ऊर्जा टीम के लिए खेलने वाला खिलाड़ी बनने पर समर्पित करने की जरूरत है. मानसिकता में इस बदलाव से काफी मदद मिली और मेरे ऊपर से तब दबाव काफी कम हो गया जब मैंने टीम के लिए बेहतर करने एवं चैंपियन टीम का हिस्सा बनने और खेल में अंतर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया.’’ बेंगलुरू में 18 अप्रैल 1992 को जन्मे राहुल के पिता केएन लोकेश और माता राजेश्वरी दोनों प्रोफेसर हैं लेकिन राहुल ने 10 वर्ष की उम्र में जब बल्ला थामा तो यही उनका पहला प्यार बन गया.

रणजी ट्रॉफी के एक सीजन में जड़ा हजार से ज्यादा रन
राहुल को किसी बड़े टूर्नामेंट में पहली बार 2010 आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. भारतीय टीम के लिए न्यूजीलैंड में हुआ यह टूर्नामेंट निराशाजनक रहा और टीम छठे स्थान पर रही. राहुल भारत के दूसरे शीर्ष स्कोरर होने के बावजूद छह मैचों में 28.60 के औसत से 143 रन ही बना सके और टूर्नामेंट के शीर्ष 30 बल्लेबाजों में भी उन्हें जगह नहीं मिली. राहुल ने इसी साल कर्नाटक के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण भी किया था. राहुल ने धीरे-धीरे सीनियर क्रिकेट में अपने पैर जमाने शुरू किए. वह 2013-14 रणजी ट्रॉफी में 10 मैचों में 68.86 के औसत से 1033 रन बनाकर टूर्नामेंट के दूसरे शीर्ष स्कोरर रहे. चयनकर्ताओं की नजर राहुल पर पड़ चुकी थी.

एमएस धोनी ने पहली बार दिया राहुल को मौका
केएल राहुल ने 2014-15 दलीप ट्रॉफी में मध्य क्षेत्र के खिलाफ दक्षिण क्षेत्र की ओर से 185 और 130 रन की पारी खेली तो चयनकर्ताओं ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए भारतीय टीम में जगह दे दी. तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने मेलबर्न में पहले बॉक्सिंग डे टेस्ट में ही राहुल को रोहित की जगह पदार्पण का मौका दे दिया लेकिन उन्होंने निराश किया. पहली पारी में छठे नंबर पर खेलते हुए राहुल तीन जबकि दूसरी पारी में तीसरे नंबर पर खेलते हुए एक रन ही बना सके. धोनी ने हालांकि राहुल पर भरोसा नहीं खोया और उन्होंने भी अपने कप्तान को निराश नहीं करते हुए सिडनी में अगले टेस्ट में मुरली विजय के साथ पारी का आगाज करते हुए 110 रन की पारी खेलकर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा.

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राहुल स्वदेश लौटने पर रणजी ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के खिलाफ 337 रन की पारी खेलकर कर्नाटक की ओर से तिहरा शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बने. राहुल को 2016 में जिंबाब्वे दौरे पर वनडे डेब्यू का मौका मिला और वह हरारे स्पोर्ट्स क्लब पर अपने पहले ही मैच में शतक जड़कर पदार्पण वनडे मैच में शतक जड़ने वाले भारत के पहले बल्लेबाज बने. वह सलामी बल्लेबाज के रूप में अपनी पहली टेस्ट और वनडे पारी में शतक जड़ने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं. राहुल को इसी दौरे पर टी20 में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण का भी मौका मिला. वह पदार्पण मैच में खाता खोलने में नाकाम रहे लेकिन उन्होंने उसी साल 27 अगस्त को अमेरिका के लॉडरहिल में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 110 रन की पारी खेलकर सिर्फ 20 अंतरराष्ट्रीय पारियों में खेल के तीनों प्रारूपों में शतक जड़ने का अविश्वसनीय रिकॉर्ड बना दिया.

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राहुल खेल के तीनों प्रारूपों में शतक जड़ने वाले दुनिया के सिर्फ 18 और भारत के सिर्फ तीन खिलाड़ियों की एलीट सूची में शामिल हैं. भारत के लिए राहुल के अलावा सुरेश रैना और रोहित यह कारनामा कर चुके हैं. इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में भी राहुल ने अपना जलवा बिखेरा है. पंजाब किंग्स ने 2018 की नीलामी में 11 करोड़ रुपये की संयुक्त रूप से तीसरी सर्वाधिक बोली लगाकर उन्हें अपने साथ जोड़ा. उन्होंने टीम को निराश नहीं करते हुए पहले ही मैच में 14 गेंद में अर्धशतक जड़कर आईपीएल इतिहास का सबसे तेज अर्धशतक अपने नाम किया. राहुल ने 2019 में रोहित की मुंबई इंडियंस के खिलाफ नाबाद 100 रन बनाकर अपना पहला आईपीएल शतक जड़ा.

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पूर्व कप्तान रविचंद्रन अश्विन के 2020 में दिल्ली कैपिटल्स से जुड़ने के बाद राहुल को पंजाब की टीम का कप्तान बनाया गया. उन्होंने इस सत्र में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के खिलाफ 69 गेंद में 132 रन बनाकर आईपीएल में भारतीय बल्लेबाज द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड अपने नाम किया. वह इस सत्र में 14 मैच में पांच अर्धशतक और एक शतक से 55.83 की औसत से 670 रन बनाकर शीर्ष स्कोरर रहे और ऑरेंज कैप अपने नाम की. राहुल आईपीएल 2021 में 626 रन के साथ तीसरे सर्वोच्च स्कोरर रहे लेकिन शीर्ष पर रहे चेन्नई सुपरकिंग्स के रुतुराज गायकवाड़ (635) और दूसरे स्थान पर रहे इसी टीम के फाफ डुप्लेसिस (633) और उनके बीच सिर्फ क्रमश: नौ तथा सात रन का अंतर रहा.

Tags: Cricket news, Ind vs sa, India vs South Africa, KL Rahul, Rohit sharma, Virat Kohli

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