‘मुझे कप्तानी नहीं मिली क्योंकि BCCI में मेरी पैरवी करने वाला कोई नहीं था’, हरभजन सिंह का फूटा दर्द

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नई दिल्ली. दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने हाल ही में सभी तरह के क्रिकेट फॉर्मेट से रिटायरमेंट लिया है. इसके बाद से ही उनके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगीं हैं. उनकी राजनीति में एंट्री की बातें भी हो रही हैं. हालांकि, हरभजन ने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल उनका राजनीति में आने का कोई इऱादा नहीं है. लेकिन जब भी ऐसा होगा तो वो अपने फैंस को सबसे पहले यह जानकारी देंगे. उन्होंने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया. साथ ही इस गेंदबाज ने अपने क्रिकेट करियर, विवाद और कप्तानी से जुड़े सवाल पर भी अपनी राय जाहिर की.

हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) ने जी न्यूज को दिए इंटरव्यू में टीम इंडिया की कप्तानी नहीं मिलने से जुड़े सवाल पर कहा कि ऐसा नहीं था कि मुझे कप्तानी करना नहीं आती थी या मैं इसके लायक नहीं था. मेरे पास पंजाब से ऐसा कोई शख्स नहीं था, जो बीसीसीआई में ऊंचे ओहदे पर हो और कप्तानी के लिए मेरा सपोर्ट कर सके. अगर ऐसा होता तो शायद मुझे भी टीम इंडिया की कप्तानी मिल जाती. अगर मुझे यह जिम्मेदारी मिलती तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देता. मैंने हमेशा से सीनियर खिलाड़ी होने के नाते अपने सभी कप्तानों को पूरा सपोर्ट किया है.

इस पूर्व ऑफ स्पिनर ने आगे कहा कि मेरे पास बीसीसीआई में ऐसे पदाधिकारी नहीं थे जो मुझे कप्तानी के लिए सपोर्ट कर सकें. बस, इसी वजह से मुझे कभी मौका नहीं मिला.

गांगुली मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ कप्तान: गांगुली
आपके कभी कप्तानों के साथ खेला है ? उसमें से आपको सबसे बेस्ट कप्तान कौन लगा? इसके जवाब में हरभजन ने कहा, मेरे लिए सौरव गांगुली सबसे शानदार कप्तान थे. उन्होंने तब मुझे चुना, जब मैं टीम से बाहर चल रहा था. 2001 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज में मुझे मौका मिला. मैंने सीरीज में 32 विकेट लिए और टेस्ट हैट्रिक लेने वाला भारत का पहला गेंदबाज बना. उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी कप्तान बने तो उन्होंने भी टीम को अच्छे से संभाला. धोनी ने 2011 तक टीम को काफी अच्छे से लीड किया. भारत वर्ल्ड चैम्पियन भी बना. हालांकि, मैं गांगुली की कप्तानी को सबसे ज्यादा पसंद करता हूं. क्योंकि एक गेंदबाज के तौर पर उन्होंने मुझे पूरी आजादी दी. इसी वजह से मैं एक बेहतर गेंदबाज बन सका.

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‘कप्तान बनता तो 2015 में ही संन्यास ले लेता’
अगर आप कप्तान बनते तो 2020 तक खेलते? इस सवाल के जवाब में पूर्व ऑफ स्पिनर ने कहा कि मुझे इतना लंबा नहीं खेलना था. मैंने 2015-16 में ही क्रिकेट को अलविदा कह देता. मेरी इच्छा थी कि मैं 2015-16 तक खेलूं और टेस्ट क्रिकेट में अपने 500 विकेट पूरे करूं. उसके बाद संन्यास से लूं. लेकिन सारी बातें हमेशा आपके हक में हो. ऐसा नहीं होता है. लेकिन जो हुआ, अच्छे के लिए हुआ. मुझे इस दौर में अच्छे-बुरे की पहचान हो गई.

Tags: BCCI, Harbhajan singh, Ms dhoni, Sourav Ganguly, Team india

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