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नई दिल्ली. अकेले टेस्ट में 800, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 1347 और फर्स्ट क्लास में 1374 विकेट. यह आंकड़े इतना बताने के लिए काफी हैं कि मुथैया मुरलीधरन (Muthiah Muralidaran) का क्रिकेट में कद कितना बड़ा है. श्रीलंका के इस ऑफ स्पिनर ने 18 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में राज किया. इन सालों में गेंदबाजी का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड होगा, जो उनके नाम ना हो. लेकिन फिर भी एक खास रिकॉर्ड ऐसा है, जिसके करीब पहुंचकर भी मुरलीधरन उसे पूरा करने से महरूम रह गए थे. यह रिकॉर्ड था टेस्ट में परफेक्ट 10 हासिल करने का. यानी एक पारी में सभी 10 विकेट लेने का करिश्मा.
मुरलीधरन 2002 में आज ही के दिन यानी 4 जनवरी को जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए कैंडी टेस्ट में इस रिकॉर्ड की बराबरी के बिल्कुल करीब पहुंच चुके थे. लेकिन साथी गेंदबाज चमिंडा वास (Chaminda Vaas) ने जिम्बाब्वे का आखिरी विकेट लेकर मुरलीधरन के टेस्ट में सभी 10 विकेट लेने के सपने को तोड़ दिया था. जिम्बाब्वे की टीम 2002 में श्रीलंका दौरे पर गई थी. तब कैंडी में दोनों देशों के बीच 3 टेस्ट की सीरीज का दूसरा मुकाबला खेला गया था. इस टेस्ट की शुरुआत 4 जनवरी से शुरू हुई थी. जिम्बाब्वे ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. लेकिन मुरली की फिरकी के आगे जिम्बाब्वे के सभी बल्लेबाज बेबस नजर आए. इस टेस्ट के पहले दिन ही जिम्बाब्वे ने 234 रन के स्कोर पर अपने 9 विकेट गंवा दिए और सभी विकेट मुरलीधरन की झोली में आए.
मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralidaran) ने पहले दिन 39 ओवर गेंदबाजी करते हुए 51 रन देकर 9 विकेट हासिल किए. वो टेस्ट की एक पारी में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन और पहली बार टेस्ट की एक पारी में सभी 10 विकेट लेने वाले जिम लेकर के रिकॉर्ड की बराबरी करने की दहलीज पर खड़े थे. मुरलीधरन को परफेक्ट-10 के लिए दूसरे दिन सिर्फ एक विकेट की दरकार थी.
मुरलीधरन परफेक्ट-10 से चूके
दूसरे दिन का खेल शुरू हुआ तो जिम्बाब्वे के बल्लेबाज ट्रेविस फ्रेंड ने मुरली की पहली गेंद पर ही फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर खड़े रसेल अर्नोल्ड को कैच थमा ही दिया था. लेकिन अर्नोल्ड उस कैच को लपक नहीं पाए. इसके बाद मुरली की गेंद पर एक एलबीडब्ल्यू की अपील भी अंपायर ने खारिज कर दी.
मुरलीधरन के परफेक्ट-10 का इंतजार बढ़ता जा रहा था. इस बीच, चमिंडा वास ओवर फेंकने आए और स्ट्राइक पर हेनरी ओलांगा थे. वास को भी मुरली के रिकॉर्ड का पता था. इसलिए उन्होंने गेंद ऑफ स्टम्प के काफी बाहर फेंकी. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इतना बाहर गेंद फेंकने के बावजूद ओलांगा ने उस पर बल्ला अड़ा दिया और गेंद सीधे विकेट के पीछे खड़े कुमार संगकारा के दस्तानों में चली गई. संगकारा भी इस कैच को नहीं छोड़ पाए और इस तरह मुरलीधरन का एक पारी में सभी 10 विकेट लेने का सपना टूट गया. उन्होंने इस टेस्ट की दूसरी पारी में 4 विकेट लिए और श्रीलंका यह मुकाबला पारी और 94 रन से जीता. लेकिन मुरलीधरन भारतीय लेग स्पिनर अनिल कुंबले औऱ जिम लेकर की बराबरी नहीं कर पाए.
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यह अलग बात है कि बाद संन्यास लेने से पहले मुरलीधरन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक 1347 विकेट लिए. जिसके करीब पहुंचना किसी भी गेंदबाज के लिए आसान नहीं.
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