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नई दिल्ली. ना तूफानी रफ्तार, ना कप्तान की पहली पसंद वाला गेंदबाज, फिर भी शार्दुल ठाकुर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में इतिहास रच दिया. शार्दुल ने मैच के दूसरे दिन 61 रन देकर 7 विकेट झटके और टीम इंडिया की टेस्ट में वापसी करा दी. कुछ साल पहले तक शार्दुल की रफ्तार अभी के मुकाबले ज्यादा थी. लेकिन पीठ की चोट के कारण उन्हें अपनी रफ्तार कम करनी पड़ी. लेकिन एक गेंदबाज के तौर पर उनकी समझ, मेहनत और चालाकी कम नहीं हुई. वो पहले के मुकाबले ज्यादा आत्मविश्वास से गेंदबाजी कर रहे हैं और यही वजह है कि जब सभी गेंदबाज विकेट लेने में नाकाम हो जाते हैं तो कप्तान सीधे उन्हें गेंद थमाते हैं और नतीजा जोहानिसबर्ग में सबने देख ही लिया.
शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur) के लिए बीता 1 साल शानदार रहा है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड के बाद अब दक्षिण अफ्रीका में भी अपनी काबिलियत साबित की है. हालांकि, उनके लिए हमेशा कहा जाता है कि वो विकेट लेने वाली गेंदों के साथ भाग्यशाली हैं. उन्हें ऐसी गेंद मिल ही जाती हैं, जिस पर बल्लेबाज विकेट गंवा देता है. हालांकि, चेन्नई सुपर किंग्स में उनके बॉलिंग कोच एल बालाजी भी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते. उनकी नजर में शार्दुल के लिए यह कहना है कि वो विकेट वाली गेंदों के साथ लकी हैं, यह बात पूरी तरह सही नहीं हैं. क्योंकि वो बहुत समझदार गेंदबाज हैं और उन्हें बल्लेबाज को अपने जाल में फंसाना आता है और जोहानिसबर्ग में 7 विकेट लेने के दौरान उन्होंने अपनी समझ का पूरा इस्तेमाल किया है.
एल्गर को शार्दुल ने अपने जाल में फंसाया: बालाजी
बालाजी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान डीन एल्गर के विकेट का उदाहरण देकर समझाया कि कैसे शार्दुल ने उन्हें अपने जाल में फंसाया. बालाजी आमतौर पर आउट स्विंग (दाएं हाथ के बल्लेबाजों) गेंदबाजी करते हैं. लेकिन उन्होंने एल्गर के खिलाफ इसका इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने जिस गेंद पर एल्गर को आउट किया. दाएं हाथ के हजारों तेज गेंदबाजों ने टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत के बाद से ठीक उसी तरह बाएं हाथ के हजारों बल्लेबाजों को आउट किया है.
शार्दुल की यह गेंद गुड लेंथ पर थी, हल्की सी बाहर जाती गेंद, जिसे एल्गर को खेलना ही पड़ा. खासकर जब शार्दुल की नेचुरल आउट स्विंग गेंद बाएं हाथ का बल्लेबाज होने के कारण एल्गर के लिए अंदर की तरफ आती. लेकिन गेंद स्विंग ही नहीं हुई और हल्की सी बाहर की तरफ निकली. एल्गर लेंथ से गच्चा खा गए और गेंद को खेलने के चक्कर में अपना विकेट गंवा बैठे.
‘शार्दुल ने बल्लेबाजों की कमजोरी को पकड़ा’
एल्गर को आउट करने के बाद शार्दुल दोबारा दाएं हाथ के दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को अपनी नेचुरल आउट स्विंग फेंकने लगे. ऐसी ही एक गेंद पर उन्होंने अर्धशतक ठोक चुके कीगन पीटरसन का शिकार किया. वो लगातार पीटरसन को क्रीज के कोने से आउट स्विंग गेंदबाजी करते रहे और उन्हें इसका फायदा मिला. जब क्रीज के कोने से फेंकी गई उनकी एक गेंद को पर पीटरसन गच्चा खा गए और ड्राइव करने के चक्कर में मयंक अग्रवाल को कैच थमा बैठे. उन्होंने इसी अंदाज में रासी वैन डेर दुसां और अफ्रीकी विकेटकीपर का विकेट भी हासिल किया.
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वो गेंदबाजी नहीं मिलने पर सवाल पूछते हैं: बालाजी
सीएसके के बॉलिंग कोच बालाजी ने आगे बताया कि शार्दुल ऐसे गेंदबाज हैं. जो जिम्मेदारी पसंद करते हैं. चुप रहने वाले आदमी की तरह नहीं! उन्होंने कहा, “वह आपसे पूछते हैं कि आखिर के ओवरों में उन्हें गेंद क्यों नहीं दी गई? या नई गेंद से उनसे गेंदबाजी क्यों नहीं कराई गई. किसी भी स्थिति में वह सोचते हैं कि उनसे किस वजह से गेंदबाजी नहीं कराई गई. वो, बस जवाब चाहते हैं. यह देखने के लिए कि क्या उस वक्त टीम के पास एक गेंदबाज के तौर पर उनसे बेहतर विकल्प था या उन्हें इस रोल के लिए फिट नहीं समझा गया. जैसे ही उन्हें हकीकत पता चलती है तो वो अपनी कमियों को दूर करने में जुट जाते हैं और नेट्स पर फिर इसे साबित करके दिखाते और फिर आपसे पूछते हैं कि क्या अब मैं इस रोल के लिए फिट हूं? इससे पता चलता है कि उनमें एक गेंदबाज के तौर पर सीखने और बेहतर करने की भूख है.”
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