India vs South Africa: विराट कोहली के लिए सबसे खूबसूरत मैदान में बज सकती है सबसे बड़े खतरे की भी घंटी?

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जिंदगी कभी आपके सामने ये शर्त रख दे कि सिर्फ दुनिया में एक ही शहर आपको सैर करने का मौका मिल रहा हो तो आप केपटाउन का नाम लेने से कभी नहीं हिचकना. ये मैं सिर्फ अपनी निजी पसंद के चलते नहीं कह रहा हूं बल्कि अगर आप दुनिया के मशहूर घुमक्कड़ों से बात करेंगे तो आपको वो दुनिया के 5 सबसे ख़ूबसूरत शहरों में से एक निश्चित तौर पर गिनाएंगे और इसी शहर में टीम इंडिया अपने क्रिकेट इतिहास का एक बेहद खूबसूरत लम्हा तलाशने की जद्दोजेहद में अगले 5 दिन जुटी रहेगी. केपटाउन में भारत ने आजतक न तो टेस्ट मैच जीता है और न ही अब तक के 7 दौरों पर साउथ अफ्रीका में कोई सीरीज जीती है. यानि केपटाउन में विराट कोहली (Virat Kohli) की टीम के पास एक तीर के साथ 2 सुनहरे शिकार करने का मौका है. केपटाउन (Capetown test) में जीत का खाता खोलो और साथ ही अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने की शुरुआत कर दी जाए.

कप्तान विराट कोहली के लिए भले ही ये 99वां टेस्ट मैच है, लेकिन इसकी अहमियत 100वें टेस्ट के जश्न से शायद कम नहीं हो, क्योंकि कोहली उस दहलीज पर खड़े हैं जहां पर उनसे पहले सिर्फ एमएस धोनी पहुंचे थे. अफ्रीका में टेस्ट सीरीज जीतने के सोचने के बारें में. धोनी वो फतह हासिल नहीं कर पाये, जो शायद उनके टेस्ट कप्तानी की विरासत को एक अलग स्तर पर ले जा सकती थी, लेकिन आज कोहली के पास ये मौका है जो न सिर्फ धोनी के उस अधूरी विरासत को नई दिशा दे दें, बल्कि ऐसा कर दें अब तक किसी भारतीय कप्तान ने नहीं किया है.

पुजारा और रहाणे ने दिखाया, कैसे की जाती है नई शुरुआत 

ऐसा करना क्या आसान होगा? बिल्कुल नहीं. ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि चेतेश्वर पुजारा, कोहली और अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) की तिकड़ी ने मिलकर पिछले 2 साल में जिस तरह का संघर्ष किया है, सामूहिक तौर पर एक मिडल ऑर्डर की तिकड़ी के तौर पर उसका भारतीय क्रिकेट में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है. लेकिन, पुजारा और रहाणे ने पिछले टेस्ट के दौरान दिखाया है कि पुरानी नाकामयाबियों  को भुलाते हुए नये साल में नई शुरुआत भी की जा सकती है. कोहली भी शायद वैसी ही नई शुरुआत करने की उम्मीद कर सकते हैं. अच्छी बात ये है कि प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कप्तान कोहली लड़ाकू तेवर में नहीं दिखे. ठीक है कोहली से चेतन शर्मा के बयान को लेकर कोई सवाल नहीं पूछा गया (जो वाकई में हैरान करने वाला तो जरुर था) और कोहली ने भी इस पर किसी तरह का जवाब देना मुनासिब नहीं समझा. अगर कोहली चेतन शर्मा के बयान पर फिर से अपना पक्ष रखना चाहते तो शायद रख सकते थे, लेकिन कोहली ने ऐसा नहीं किया. शायद वो भी अब विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर से निकलना चाहतें हैं. अब शायद उन्हें जो कुछ भी कहना होगा वो सही वक्त पर करेंगे.

कोहली के प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की खास बात

कोहली ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में जो एक अच्छी बात कही, वो ये कि रहाणे और पुजारा जैसे खिलाड़ियों के पीछे आलोचकों को नहीं पड़ना चाहिए. हाल के हफ्तों में सार्वजिनक तौर पर कोहली का अपने सीनियर खिलाड़ियों के लिए इस तरीके से खड़ा होना काफी सुखद नजारा है. शायद ये पहले होता तो रहाणे और पुजारा का करियर ग्राफ कुछ और बेहतर हो सकता था. इतना ही नहीं रविचंद्रण अश्विन के बारे में भी कोहली की राय दिलचस्प रही. कोहली ने साफ साफ कहा कि विदेशी जमीं पर हाल के सालों में अश्विन से बेहतरीन स्पिनर कोई रहा ही नहीं. आलोचक निश्चित तौर पर ये सवाल उठा सकते हैं तो क्या वजह रही कि इंग्लैंड के दौरे पर अश्विन को 1 भी मैच खेलने का मौका नहीं दिया गया? लेकिन, वो सब तो अतीत की बात है. वर्तमान अब बीसीसीआई में टॉप अधिकारियों के दबदबे की बात करता और कोहली को अलग-थलग लीडर के तौर पर खड़ा दिखता है. हो सकता है कि शायद कोहली के लिए ये बदलाव उन्हें कप्तान और खिलाड़ी के तौर पर भी बदले.

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कोहली के रवैये में दिखा जबरदस्‍त बदलाव

प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कोहली के रवैये में और एक जबरदस्त बदलाव देखने को मिला. जब कप्तान से प्लेइंग इलेवन के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पर वो विचार कोच और उप-कप्तान से मिल कर करेंगे. कोच के साथ चर्चा की बात तो शायद आप सभी ने सुनी होगी, लेकिन निर्णय में उप-कप्तान शामिल होगा और वो भी केएल राहुल जैसा नया नवेला उप-कप्तान..ये दिखाता है कि कैसे पर्दे के पीछे कप्तान कोहली के लिए समीकरण बदलते जा रहें हैं. वरना, कोहली सीधे सीधे पत्रकारों से बातचीत में अपनी राय साफ कर दिया करते थे और उन्हें ये सफाई देने की जरूरत भी नहीं पड़ती थी. उन्हें ये बात रवि शास्त्री से करनी है या नहीं. वो बस इकलौते फैसले लेने में हिचकते नहीं थे. लेकिन, हम सभी जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों में कोहली के लिए काफी कुछ बदल चुका है.

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कोहली ने हाथों में खुद का और टीम इंडिया का भाग्‍यकोहली के हाथों में अब खुद और अपनी टीम का भाग्य जुड़ा है. अगर कोहली के बल्ले से एक बड़ी पारी निकलती है तो निश्चित तौर पर भारत को न सिर्फ टेस्ट जीतने का मौका मिल सकता है बल्कि टेस्ट सीरीज भी जीती जा सकती है. कोहली अपने पूरे करियर में शायद रनों के सूखे से एक बार ही इतने बुरे दौर से गुजरे होंगे (2014 का इंग्लैंड दौरा). जब हर कोई उनसे एक बड़ी पारी की उम्मीद करता और वो हर बार मायूस कर जाते. लेकिन, कोहली भी जानते हैं कि केपटाउन उनके लिए और टीम के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं जैसा मौका है. ये ठीक है कि ऑस्ट्रेलिया की तरह वो साउथ अफ्रीका में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने वाली एशियाई टीम नहीं बनेंगे, क्योंकि श्रीलंका तो 2018 में ही ये काम कर चुकी है वो भी एक साधारण टीम के बूते. अगर कोहली एक असाधारण गेंदबाजी आक्रमण के रहते हुए टेस्ट सीरीज जीतने में नाकाम होते हैं तो शायद ये सीरीज उनकी कप्तानी के लिए खतरे की फाइनल घंटी बजा दे.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

ब्लॉगर के बारे में

विमल कुमार

न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.

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